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टोकन की जरूरत नहीं, किसान अब सीधे अपने एरिया के अधिकृत डीलर से ले सकेंगे बीज 

खरगोन। जिले में को कपास की उपलब्धता के  दृष्टिगत रखते हुए कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने स्वतः संज्ञान लेते हुए शनिवार को कृषि विभाग एवं जिले के बीज डिस्ट्रीब्यूटर्स की समीक्षा बैठक ली। बैठक में कृषि आदान संघ के विक्रेताओं से कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने बीज उपलब्धता की चर्चा की एवं उनके बीच समन्वय स्थापित किए जाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बीच मार्केट में कृषकों की भीड़ से यातायात व्यवस्था में समस्या होने से एवं कृषको को भी धूप पानी से बचाने हेतु अन्य उपलब्ध स्थान से कपास बीज वितरण करने के निर्देश दिए गए। कलेक्टर श्री शर्मा ने निर्देश देते हुए कहा कि कृषकों को किसी  भी प्रकार की समस्या ना हो ऐसे स्थान का चयन करते हुए जहां पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था हो वहां टेंट एवं पानी की पर्याप्त व्यवस्था कर कपास बीज वितरण करने के निर्देश दिए हैं।

कृषि वैज्ञानिकों ने एक ही प्रकार के बीज उपयोग न करने की सलाह दी-

जिला प्रशासन एवं कृषि वैज्ञानिक श्री संजीव वर्मा ने बताया कि यदि सभी कृषक एक ही प्रकार का एवं एक ही कंपनी का बीज लगाएगा तो ऐसी स्थिति में एक ही कंपनी पर कोई बीमारी फैलती है तो पूरे जिले के कृषकों को इसका गंभीर परिणाम देखने को मिलेगा। इस स्थिति से बचने के लिए अलग-अलग कंपनियों के कपास बीज का उपयोग किया जाना चाहिए जिससे बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।

टोकन व्यवस्था समाप्त होगी

कृषकों को कपास बीज वितरण के लिए कृषि विभाग द्वारा जारी की गई टोकन व्यवस्था समाप्त की गई है। किंतु पूर्व में जारी किए गए टोकन को प्राथमिकता के आधार पर बीज वितरित किए जाएंगे। नवीन व्यवस्था अनुसार किसान व्यापारियों से सीधे कपास बीज का क्रय कर सकते है।

विभिन्न कंपनियों एवं वैरायटियों के बीज लगाने की सलाह-

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ, भारतीय किसान संघ, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ एवं कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि विभिन्न वैरायटी के बीज लगाने से फसल की बीमारियां एवं इल्लियां पूरे क्षेत्र में नहीं फैलती। जिससे कपास की फसल को नुकसान पूरे क्षेत्र में नहीं होता। अतः विभिन्न नस्लों एवं कंपनियों के कपास बीजों की बुवाई की जाना चाहिये।

जिले में उपलब्ध है पर्याप्त कपास बीज

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक श्री वायके  जैन ने बताया कि जिले में विभिन्न कंपनियों के एवं वैरायटी के कई किस्म के कपास बीज जो लगभग एक समान ही परिणाम देते हैं। ऐसी स्थिति में एक ही कंपनी के बीज पर कोई बीमारी फैलती है तो पूरे जिले के कृषकों पर इसका गंभीर परिणाम होगा। जिले के कृषि आदान विक्रेताओं के पास माहिकों सीड्स के 31 हजार, आदित्य एग्रोटेक के 50 हजार 16, माहिको प्रालि के 25 हजार, प्रभात सीड्स 23 हजार 120, नाथ बयोजीन के 15 हजार 200, एल्डोराडो एग्रीटेक के 5240, अंकुर सीड्स के 12हजार, अजीत सीड्स के 16 हजार 400, कावेरी सीड्स के 16 हजार 500, प्रवर्धन सीड्स के 44 हजार, कृषिधन सीड्स के 3200,श्रीराम बायो सीड्स के 05 हजार, एक्सपर्ट जैनिटिक्स के 3200,पाटीदार सीड्स कॉरपोरेशन के 5500,अलग्रीप सीड्स के 8 हजार, वेस्टर्न बायो वेजिटेबल सीड्स के 1200, सोलार एग्रोटेक 1710, नर्मदा सागर एग्री सीड्स के 800, देसाई सीड्स कॉरपोरेशन के 900 एवं अन्य कंपनियों के कपास बीज उपलब्ध है। इस प्रकार जिले में 04 लाख 68 हजार 158 कपास बीज के पैकेट उपलब्ध हैंसाथ ही ऐसी समस्त कपास बीज की दुकाने जो अधिकृत है, उन पर राजस्व एवं कृषि अधिकारियों की तैनाती की गई ही। 

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